हनुमान जयंती 2024 आज 22 अप्रैल को मनाई जा रही है। यह पर्व भगवान हनुमान के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। भगवान हनुमान, जिन्हें पवनपुत्र, बजरंगबली, और महावीर भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में वीरता, भक्ति, और साहस के प्रतीक माने जाते हैं। वे रामभक्त के रूप में विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं और उनके अद्वितीय पराक्रम और विनम्रता के कारण उन्हें सभी के बीच आदर प्राप्त है।
हनुमान जयंती के दिन, भक्त विशेष रूप से हनुमान जी के मंदिरों में जाकर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। हनुमान चालिसा, संकट मोचन हनुमानाष्टक, और हनुमान बाहुक जैसी स्तुतियाँ पढ़कर भगवान हनुमान की स्तुति करते हैं। कई भक्त व्रत रखते हैं और दिनभर उपवास करते हैं।
यह दिन भक्तों के लिए आत्म-सम्मान, साहस, और विश्वास को प्रकट करने का अवसर है। हनुमान जयंती के शुभ अवसर पर लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएँ भेजते हैं और भगवान हनुमान से अपने और अपने परिवार के लिए सुरक्षा, समृद्धि, और सुख-शांति की प्रार्थना करते हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे व्हाट्सएप, फेसबुक, और ट्विटर पर भी भक्त भगवान हनुमान के उद्धरण, संदेश, कोट्स, और इमेजिस साझा करते हैं। भक्त भगवान हनुमान की भक्ति और प्रेरणा से अपने जीवन में नया उत्साह और ऊर्जा प्राप्त करते हैं।
हनुमान जयंती के इस खास अवसर पर, भगवान हनुमान की कृपा सभी के जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति लाए, यही हमारी कामना है। जय बजरंगबली!
शास्त्रों में कहा गया है कि त्रेता युग में चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन बजरंग बली का जन्म हुआ था. इसलिए भक्त इस दिन हनुमान जी की पूजा अर्चना करते हैं. इस दिन मंदिर सजाए जाते हैं और जगह जगह भंडारे और कार्यक्रम आयोजित होते हैं.
2024 में कब है हनुमान जयंती?
उदया तिथि के अनुसार हनुमान जयंती 23 अप्रैल के दिन मनाई जाएगी. हनुमान जयंती पर बजरंग बली की विधिवत पूजा में आराध्य को लाल चोला पहनाया जाता है. इसके साथ साथ बजरंग बली को लड्डुओं का भोग लगाया जाता है. इस दिन भगवान राम के साथ बजरंग बली की पूजा करनी चाहिए क्योंकि इससे बजरंग बली जल्दी प्रसन्न होते हैं.
हिंदू पंचांग और उदया तिथि के अनुसार इस बार चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि 23 अप्रैल मंगलवार को सुबह 3: 26 मिनट पर आरंभ हो रही है. पूर्णिमा तिथि अगले दिन 24 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 18 मिनट तक रहेगी.
शुभ संयोग और पूजा का शुभ मुहूर्त ?
कहा जाता है कि बजरंग बली का जन्म मंगलवार के दिन हुआ था और इसी कारण बजरंग बली को मंगलमूर्ति का नाम से भी पुकारा जाता है. 23 अप्रैल को पूरे दिन पूर्णिमा होने के कारण किसी भी समय आप हनुमान जी की पूजा कर सकते हैं, लेकिन अगर शुभ मुहूर्त में पूजा की जाए तो मनोरथ सकल होते हैं और बजरंग बली का आशीर्वाद मिलता है.
साल 2014 में हनुमान जयंती 23 अप्रैल दिन मंगलवार को मनाई जाएगी और इसे शुभ संयोग कहा जा रहा है .इस दिन विधिवत रूप से और सच्चे मन से पूजा करने पर मनोरथ पूरे होंगे.
बजरंग बली की पूजा-अर्चना के लिए 35 मिनट है बेहद खास मुहूर्त
हनुमान जयंती पर पूजा का खास मुहूर्त सुबह 9 बजकर 14 मिनट से 10 बजकर 49 मिनट तक रहेगा. वहीं, 12 बजकर 25 मिनट से दोपहर 2 बजे तक पूजा का बेहद खास मुहूर्त है. शाम के समय 3 बजकर 36 मिनट से शाम 5 बजकर 11 मिनट तक भी पूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है. रात्रिकाल का शुभ मुहूर्त 8 बजकर 14 मिनट से रात 9 बजकर 25 मिनट तक रहेगा.
हनुमान जयंती पर जरूर करें ये दान
1 – हनुमान जयंती के दिन हल्दी के दान करने से शुभ फल मिलता है. हल्दी के दान करने से आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती है. इससे घर में शुभकार्य होते हैं.
2 – हनुमान जयंती पर अनाज का दान बड़ा लाभकारी माना जाता है. इस दिन अनाज का दान करने से घर में कभी धन का अभाव नहीं रहता है. साथ ही आय के नए स्रोत खुलते हैं. इसके साथ ही इस दिन अनाज का दान करने से मां अन्नपूर्णा प्रसन्न रहती हैं. यही वजह है कि इस इसका इतना महत्व है.
3 – हनुमान जी को लड्डू बेहद प्रिय हैं. ऐसे में उन्हें लड्डू का भोग लगाया जाए, तो वे शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, अगर लंबे समय से आपके प्रमोशन के योग बन रहे हैं और प्रमोशन रुका हुआ है, तो हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी के मंदिर में बेसन के लड्डू का दान करें. इससे भगवान बजरंगबली की कृपा आप पर बरसेगी और आय में बढ़ोतरी होगी.
4 – हनुमान जी को सिन्दूर का चोला चढ़ाने से बाद हनुमान जयंती के दिन सिन्दूर का दान भी करना चाहिए. ध्यान रहे कि खुद का सिन्दूर नहीं बल्कि बाजार से खरीदकर सिन्दूर का दान करें. साथ ही, लाल नहीं बल्कि नारंगी रंग के सिन्दूर को दान में दें. इससे हनुमान जी बेहद प्रसन्न होते हैं.
Shree Hanuman Chalisa
हनुमान चालिसा को आप हर रोज यहां पढ़ सकते है, हनुमान चालीसा में लिखा है जो हर दिन हनुमान चालीसा का पाठ करता है उस पर हनुमान जी के साथ ही साथ रामजी और भगवान शिव पार्वती की भी कृपा रहती है। और जिस पर रामजी की कृपा हो जाती है उस पर तो सभी की कृपा होती है, इसलिए ही तो कहते हैं कि, जा पर कृपा राम की होई, ता पर कृपा करहिं सब कोई। तो हनुमानजी के साथ रामजी की कृपा पाने के लिए हर दिन खास तौर पर मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करें।
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दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि। बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुण्डल कुँचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे। कांधे मूंज जनेउ साजे।।
शंकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जग वंदन।।
बिद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये। श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना। लंकेश्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानु। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रच्छक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरे सब पीरा। जपत निरन्तर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा।।
और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु संत के तुम रखवारे।। असुर निकन्दन राम दुलारे।।
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुह्मरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै।।
अंत काल रघुबर पुर जाई। जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
सङ्कट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बन्दि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।
दोहा
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
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